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यह पुस्तक पंचकर्म के सैद्वांतिक तथा प्रायोगिक पक्ष को आयुर्वेद चिकित्सको तथा छात्रों के पाठयकर्म को ध्यान में रखते हुए कर्मबध रूप से प्रदर्शित करती है भाषाशैली साधारण तथा स्पष्ट है सी. सी. आई पाठ्यकर्म को पूर्ण करने वाली जिसमे प्रयोगिक फिजियोथेरेपी तथा प्रायोगिक तथा सैद्वांतिक पक्ष बताया गया है
१. परिचय
पंचकर्म क्या है ?
शोधन (पंचकर्म) का महत्व
उपयोगिता
पूर्व कर्म का महत्व
पाश्चात्य कम
२. स्नेहन कम
व्युत्पत्ति, परिभाषा तथा स्नेहन
स्नेह के प्रकार, उपयोगिता तथा विविध स्नेह योनियाँ
तैल की उपयोगिता
स्नेहन हेतु महत्वपूर्ण घृत
महत्वपूर्ण बिन्दु
कर्मानुसार
मिश्रण के आधार पर विविध स्नेह
मात्रा के आधार पर
अवशोषण (Assimilation) के आधार पर भेद (सुश्रुतानुसार)
पाचन के आधार पर भेद
कर्मानुसार स्नेह के भेद
पाक के अनुसार भेद
प्रयोग के आधार पर
स्नेहन का प्रकर्ष काल
स्नेहन काल
ॠतु के अनुसार स्नेह प्रयोग
अभ्यंग
उपयोगिता
अभ्यंग से लाभ
अभ्यंग की कार्मुकता
Pharmocodynamics of Abhyang
धातु स्तर पर अभ्यंग का प्रभाव
आचार्य सुश्रुत द्वारा वर्णित त्वचा के भेद, मोटाई तथा उनके आश्रित रोग
आचार्य चरक के अनुसार त्वचा के भेद तथा उनके आश्रित रोग
सर्पि, तैल, वसा एवं मज्जा की गुणात्मक उपयोगिता
चतु: स्नेह की दोष-शामकता
यमक स्नेह, त्रिवृत स्नेह, महा स्नेह, अच्छ स्नेह, प्रविचारणा स्नेह तथा
सद्य: स्नेह का ज्ञान
अच्छ स्नेह तथा प्रविचारणा स्नेह
स्नेहन के योग्य तथा अयोग्य
स्नेहन योग्य
स्नेह अयोग्य
शोधन तथा शमन स्नेह की विधि
स्नेह जीर्ण, जीर्णमान तथा अजीर्ण के लक्षण
जीर्ण स्थिति के लक्षणों का शमन
जीर्णमान तथा स्नेह अजीर्ण के लक्षण
स्नेहन के सम्यक्योग, अतियोग, हीनयोग के लक्षण, स्नेहन के व्यापद तथा उनकी चिकित्सा
३. स्वेदन कम
स्वेदन कर्म से वर्ज्य अंगों को बचाने की विधि, १० प्रकार के निराग्नि स्वेद, १३ प्रकार के साग्नि स्वेद
स्वेदन कर्म से वर्ज्य अंगों को बचाने की विधि
१० प्रकार के निराग्नि स्वेद
विभिन्न प्रकार के साग्नि स्वेद
त्रयोदश अग्नि स्वेद
स्वेदन कर्म उपयोगिता के बारे में विस्तृत वर्णन
षष्टिककशालीषपिण्ड स्वेद (नवरकिजी)
स्वेदन योग्य
स्वेदन के अयोग्य- पित्त रोगी/पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति
पत्र पिण्ड स्वेद (ऐलाकिजी)
नाड़ी स्वेद
परिषेक स्वेद/कायसेक (पिडिचिल)
सम्यक योग, अतियोग, हीनयोग के लक्षण, स्वेदन व्यापक तथा प्रतिकार उपाय
सम्यक योग के लक्षण
स्वेदन के समय तथा पश्चात् आहार विहार व्यवस्था
स्वेदन कार्मुकता
शरीर क्रिया के अनुसार स्वेद संगठन
आधुनिक स्वेदन तकनीक का सामान्य ज्ञान (सोना बाथ, स्टिम बाथ)
4 वमन कर्म
शब्द व्युत्पत्ति, परिभाषा, परिचय
वमनकर्म का महत्व एवं उपयोगित
वामक तथा वमनोपण द्रव्यों का सामान्य विवरण व संग्रहण
वामक द्रव्यों के गुणधर्म
मदन, कुटज, यष्टिमधु, वचा तथा निम्ब का विस्तृत विवरण
मदनफल
वामक तथा वमनोपग द्रव्य
कषाय
कुटज
यष्टीमधु
वचा
नीम
पूर्वकर्म, आहार-विहार व्यवस्था, वामक योग उनकी मात्रा तथा वमन विधि वमन के उपद्रव
वमन व्यापत् (वमनकर्म के उपद्रव) एवं चिकित्सा
चरक द्वारा वर्णित वमन के उपद्रव
विभिन्न प्रकार के ससर्जन योग
शुद्धि के अनुसार संसर्जन क्रम
परिहार विषय तथा परिहार काल
5. विरेचन कर्म
(1) व्यत्पत्ति, परिभाषा और परिचय, महत्वता एवं पयोगिता
(2) अनुलोमन संसन, भेदन, रेचन, कर्म की उदाहरण सहित जानकारी
(3) विरेचन औषध का विस्तृत अध्ययन- त्रिवृत, एरण्ड, आरग्वध,कुटकी, जयपाल
(4) विरेचन द्रव्यों को अध्ययन कर उनकी गुण दोष और संचालन की
विधि (दवा देने की विधि)
(5) कोष्ठ निर्णय और अग्नि विवेचन
(6) विरेचन हेतु योग्य एवं अयोग्य व्यक्ति
(7) विरेचन पूर्व वमन का महत्व
(8) विरेचन विधि (विरेचन प्रक्रिया)
(9) पूर्व कर्म- स्वेदन, भोजन और आहार विरेचन कर्म से पूर्व
(10) प्रधान कर्म
विरेचन के सम्यक योग के लक्षण
विरेचन के अतियोग के लक्षण
विरेचन के हीन योग के लक्षण
व्यापद्
संसर्जन क्रम
परिहार्य विषय और परिहार काल
आधुनिक विज्ञान के अनुसार वर्गीकरण
6. बस्ति
बस्तिकर्म की व्युत्पत्ति, परिभाषा, परिचय एवं उपयोगिता और महत्व
बस्ति की उपयोगिता एवं महत्व
अनुवासन बस्ति के योग्य
अनुवासन बस्ति के अयोग्य
आस्थापन बस्ति के योग्य
आस्थापन बस्ति के अयोग्य
अनुवासनोपयोगी और आस्थापनोपयोगी द्रव्य
आस्थापन में उपयोगी औषध
पूर्व कर्म
प्रधान कर्म
निरुह बस्ति देते समय सावधानियाँ
ऋतु अनुसार अनुवासन बस्ति
स्नेह बस्ति की सावधानियाँ
निरुह बस्ति के सम्यक् योग के लक्षण
अनुवासन बस्ति के सम्यक् योग के लक्षण
निरुह बस्ति के अतियोग के लक्षण
अनुवासन बस्ति के अतियोग के लक्षण
निरुह बस्ति के अयोग के लक्षण
अनुवासन बस्ति के अयोग के लक्षण
पश्चात कर्म- परिहार्य विषय, काल
एरण्डमूलादि निरुह बस्ति- निर्माण विधि
क्षार बस्ति- निर्माण विधि
लेखन बस्ति- सामग्री
वातघ्न बस्ति
पितघ्न बस्ति
कफघ्न बस्ति
उत्तरबस्ति
मूत्राशयगत उत्तरबस्ति देने की विधि-
बस्ति कार्मुकता
7 नस्यकर्म
(1) व्युत्पत्ति, परिभाषा, परिचय, ज्ञान एवं नस्य कर्म की महत्वता
(2) नस्य कर्म में प्रयुक्त द्रव्य (औषधि) के बारे में ज्ञान, नस्य कर्म का वर्गीकरण का विवरण
(3) नस्य का प्रयोग और निषेध
(4) विभिन्न प्रकार के नस्य में प्रयुक्त द्रव्य की मात्रा का ज्ञान-
(5) नावन, मर्श, प्रतिमर्श, अवपीडन, ध्मापन तथा धूम नस्य के मार्ग के आधार पर-
(6) नस्य के सम्यक् योग, हीन योग, अतियोग के लक्षण तथा उनके उपचार-
(7) नस्य कर्म के समय पथ्य-अपथ्य, परिहार्य विषय
(8) नस्य कार्मुकता (नस्य कर्म की क्रिया)
8. रक्तमोक्षण
रक्तमोक्षण की विभिन्न प्रक्रिया का ज्ञान
रक्तमोक्षण में भोजन व्यवस्था
व्यायामोपचार
व्यायाम की उपयोगिता
तीव्र आवस्थिक उपचार (Acute stage treatment)
जीर्ण आवस्थिक उपचार (Chromic stage treatment)
Physiotherapy के विभिन्न उपकरण तथा उनकी संचालन विधि
Physiotherapy तकनीक तथा उपकरण
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