प्रस्तुत पुस्तक द्वितीय संशोधित संस्करण हैं जो कि वर्गीकार (क्लाशिफायर) की आवश्यकता अनुसार है। प्रथम संस्करण में जो अभाव व कमियाँ रह गई थी उनका इसमें समाधान है। देवनागरी लिपि में लिखी गई पुस्तकों को ग्रन्थकार संख्या (बुक नम्बर) अंकन करने के लिए यह प्रथम भारतीय पद्धति है। अभी तक हिन्दी भाषा के लेखकों को पुस्तक संख्या लगाने के लिए कोई भी प्रामाणिक पद्धति नहीं थी। अतः भारतीय पुस्तकालयों को अंग्रेजी पद्धति सी.ए. कट्टर - आॅथर टेबल पर निर्भर रहना पडता था जो कि भारतीय नामों की संरचनानुसार नहीं है। यह पुस्तक इसका समाधान है और इससे विदेशी पद्धति की निर्भरता समाप्त होती है।
इस पद्धति में दो वर्णों तक बनने वाले 27540 नामों का हिन्दी वर्णमाला क्रमानुसार समावेश है। दशमलव का प्रयोग कर दो वर्णों वाले 1,37,700 नामों को पुस्तक संख्या (बुक नम्बर) अंकित कर सकते हैं। इस पद्धति से आप एक से पांच वर्ण तक बनने वाले सभी नामों को पुस्तक संख्या अंकन कर सकते हैं। इसका प्रयोग अति सरल और सुगम है। केवल एक क वर्ण की तालिका याद होने पर सभी वर्णों के नामों को बिना देखें पुस्तक संख्या लगा सकते हैं, क्योंकि इसकी रचना स्मृति विज्ञान के निमाॅनिक्स पर आधारित है। ट्रान्सलिटिरेशन करके अंग्रेजी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के लेखकों के नामों को पुस्तक संख्या अंकन करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
इसका प्रयोग डेवी डेसीमल क्लाशिफिकेशन (डी.डी.सी.) तथा युनिवर्सल डेसीमल क्लाशिफिकेशन (यु.डी.सी.), प्रयोग करने वाले सभी प्रकार के पुस्तकालयों में हिन्दी पुस्तकों को पुस्तक लेखक संख्या (बुक् नम्बर) अंकन करने के लिए होता है। अतः यह सारणी भारतीय पुस्तकालयों के लिए अति उपयुक्त और उपयोगी सिद्ध होगी।